पत्रकारिता का अर्थ है सच्चाई को सामने लाना

सातवें ग्लोबल फेस्टिवल ऑफ़ जर्नलिज्म का शुभारंभ मीडिया का एक ही पक्ष है वो है जनपक्ष पत्रकारिता का अर्थ है सच्चाई को सामने लाना  

जैसे जैसे समय बीतता है वैसे वैसे हर चीज़ में बदलाव आते है अगर हम पत्रकारिता की बात करे तो उसमे बहुत बदलाव आया, पहले हमे किसी खबर के लिए सिर्फ रेडियो, टीवी या समाचारपत्र पर ही आश्रित रहना पड़ता था लेकिन आज आप विश्व भर की खबरे अपने मोबाइल पर उसी समय देख सकते है, इसीलिए मैं यह कहता हूँ की आज के लोग राजा महाराजा से भी ऊपर है क्योकि वो कबूतर के जरिये अपना पैगाम भेजते थे और हम आज एक सेकंड में हज़ारो लोगो को अपना सन्देश भेज सकते है, यह कहना था सातवें ग्लोबल पत्रकारिता समारोह के उदघाट्न समारोह में मारवाह स्टूडियो के निदेशक संदीप मारवाह का। इस अवसर पर बोस्निया के राजदूत मोहम्मद सेनजिक, अज़रबैजान के राजदूत अशरफ शिखालियेव, डिप्टी हेड ऑफ़ द मिशन, एम्बेसी ऑफ़ थे चेक रिपब्लिक रोमन मसारिक, जर्नलिस्ट के.जी  सुरेश, टीवी रिपोर्टर नीरज ठाकुर और टीवी एंकर साक्षी जोशी उपस्थित हुए। मोहम्मद सेनजिक ने कहा की आज के समय और पहले की पत्रकारिता में बहुत अंतर आ गया है, पहले न्यूज़ को उसी रूप में पेश किया जाता था जैसे वह होती थी परन्तु आज किसी भी छोटी बड़ी न्यूज़ को एंटरटेनिंग बनाना बहुत ज़रूरी है जिससे लोग उस न्यूज़ को देख सके और समझ सके। अशरफ शिखालियेव पत्रकार का काम पूरे देश को ही नहीं विश्व को सच्चाई से अवगत कराना होता है जो पत्रकार दिखाता है वही जनता समझती और जानती है, आज हर छोटी सी खबर देश में ही नहीं विश्व पर भी असर छोड़ती है। हमारे देश के लोग भारत को उसी नज़रिये से देखेंगे जैसा एक पत्रकार दिखायेगा, इसलिए पत्रकार को हमेशा अपने काम के प्रति ईमानदार होना आज के समय में बहुत ज़रूरी है। रोमन मसारिक ने कहा की आज ब्रेकिंग न्यूज़  को इतना बढ़ा चढ़ा कर दिखाया जाता है की फैक्ट्स ही दब जाते है और हम सच्चाई से अवगत नहीं हो पाते, पत्रकारिता का अर्थ ही है सच्चाई को सामने लाना। के.जी  सुरेश ने कहा की मीडिया का काम है जनता को सत्य दिखाना और मीडिया का एक ही पक्ष है वो है जनपक्ष। साक्षी जोशी ने कहा की आज के समय में पत्रकार के सामने जो सबसे बड़ी मुश्किल है वो है फेक न्यूज़, आज के समय में फेक न्यूज़ के कारण जनता ने पत्रकारिता पर विश्वास करना छोड़ दिया है हमे उसी भरोसे को वापिस लाना है। नीरज ठाकुर ने कहा की इस तरह का आयोजन बहुत ज़रूरी है, इसमें युवा पीढ़ी को भी अपनी बात कहने का अवसर देना चाहिए ताकि हम समझ सके की वो किस हद तक जर्नलिस्म को समझते है और आगे वो किस तरह इसे ले जाएंगे।