Workshop for Indian doctors and Surgeons on Scientific Research Writing tomorrow organised by JCOT
Workshop for Indian doctors and Surgeons on Scientific Research Writing
New Delhi, 28 January 2017: Indian doctors usually lag behind than their Western and Eastern counterparts in research and paper publications. With the aim to help doctors & surgeon to gain expertise in writing well analyzed scientific research papers, a workshop will be organized by Journal of Clinical Orthopeadics and Trauma (JCOT) in collaboration of Delhi Orthopaedic Association (DOA) and Elsevier, one of the world’s major providers of scientific, technical, and medical information.
One day workshop will be organized on 29th January at Indraprastha Apollo Hospitals. Editors and experienced reviewers from reputed indexed Indian journals (both surgical and medical) will educate and train both the young surgeons and established surgeons who want to express their work scientifically in peer-reviewed medical journals.
According to the course director, Dr. Raju Vaishya, Senior Orthopaedic & Joint Replacement Surgeon, Indraprastha Apollo Hospitals, New Delhi, this whole-day program aims to help the surgeons to gain expertise and insight into the conceptualization, methodology, execution, errors and critical analysis of publication of their original research work in reputed indexed journals.
Scientific chairman of the workshop Prof. Lalit Maini said that Scientific Research Writing involves clear transparent reporting of a research finding and its interpretation in a logical way so as to impact current and future clinical practice. Dr. Hitesh Lal stated that even people with natural writing/oratory skills find this challenging and cumbersome without a scientific analytic approach.
Invited Faculty for the workshop include Dr. K Ganguly (Former DG, ICMR), Anil Jain, (Former Editor of IJO), Dr. Ashok Shyam (Head,Indian Orthopaedic Research Group), Dr. Jugal Kishore (HOD, Community Medicine, Safdarjung Hospital), Dr. Mohit Patralekh (SMO, Safdarjung Hospital), Ish K Dhammi (Editor IJO), Dr. AC Anand (Sr. Consultant, Gastroenterologist, Apollo Hospital), Dr. Nitin Ghonge (Sr. Consultant Radiologist, Apollo Hospital), Dr. Sita Naik (Former member GC, ICMR), Dr. Anupam Prakash (Professor, LHMC), Raman Sardana (Sr. Consultant Microbiologist, Apollo Hospital) and Sameer Gupta (Elsevier), Dr. Nipun Chaudhary (Editor, Apollo Medicine).
According to the course secretary, Dr. Rajiv Thukral during this workshop, every participant would be preparing a dummy manuscript in real-time, analyzing each component critically. Post the workshop; mentors will be assigned to each participant to help in actual manuscript preparation and evaluation.
भारतीय चिकित्सकों को वैज्ञानिक अनुसंधान एवं शोध पत्र लेखन के लिए प्रोत्साहित एवं प्रशिक्षित करने के लिए कार्यषाला
नई दिल्ली, 28 जनवरी, 2017 : भारतीय चिकित्सक शोध कार्यों एवं शोध पत्रों के प्रकाशन के मामले में पश्चिमी देशो के चिकित्सकों से पीछे रहते हैं। भारत के चिकित्सकों को शोध कार्यों एवं शोध पत्र लेखन के लिए प्रशिक्षित एवं प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है। यह कार्यशाला जर्नल ऑफ क्लिनिकल आर्थोपेडिक्स एंड ट्रॉमा (जेसीओटी) की ओर से दिल्ली आर्थोपेडिक एसोसिएशन (डीओए) तथा वैज्ञानिक, तकनीकी एवं चिकित्सकीय सूचनाओं का आदान करने वाली संस्था — इलसेवियर के सहयोग से आयोजित की जा रही है।
यह कार्यशाला 29 जनवरी को इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल में आयोजित की जा रही है। इस कार्यशाला में प्रसिद्ध भारतीय शोध पत्रिकाओं (शल्य चिकित्सा एवं गैर शल्य चिकित्सा आधारित शोध पत्रिकाओं) के संपादक एवं अनुभवी समीक्षक वैसे नए एवं अनुभवी चिकित्सकों को शोध कार्य करने तथा शोध पत्र लिखने के लिए प्रशिक्षित करेंगे।
कार्यशाला के पाठ्यक्रम निदेशक तथा इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल के वरिष्ठ आर्थोपेडिक एवं ज्वाइंट रिप्लेसमेंट सर्जन डॉ. राजू वैश्य के अनुसार इस पूरे कार्यक्रम का उद्देश्य सर्जनों को प्रसिद्ध शोध पत्रिकाओं में अपने मौलिक शोध पत्रों के प्रकाशन के लिए जरूरी अवधारणा निर्माण, शोध विधि, शोध कार्यान्वय, भूल सुधार तथा महत्वपूर्ण विश्लेषण के बारे में विशेषज्ञता एवं जानकारी हासिल करने में मदद करना है।
कार्यशाला के वैज्ञानिक प्रमुख प्रोफेसर ललित मणि ने कहा कि वैज्ञानिक शोध एवं शोध के लेखन कार्य में किसी शोध के निष्कर्ष की पूरे पारदर्शी तरीके से रिपोर्टिंग करने तथा निष्कर्षों के तार्किक तरीके से विश्लेषण करने की जरूरत होती है ताकि इन निष्कर्षों को मौजूदा एवं भावी क्लिनिकल तौर-तरीकों पर लागू किया जा सके। डॉ. हितेश लाल ने कहा कि जिन लोगों के पास लिखने या बोलने की प्राकृतिक क्षमता है उन्हें भी वैज्ञानिक विश्लेषाणात्मक दृष्टिकोण के बिना शोध पत्रों को लिखने में बहुत कठिनाई होती है।
इस कार्यशाला के लिए आमंत्रित फैकल्टी में डॉ. के. गांगुली (पूर्व महाप्रबंधक, भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद), अनिल जैन (पूर्व संपादक, आईजेओ), डॉ. अशोक श्याम (इंडियन आर्थोपेडिक रिसर्च ग्रुप के प्रमुख), डॉ. जुगल किशोर (सफदरजंग अस्पताल के कम्युनिटी मेडिसीन के विभागाध्यक्ष), डॉ. मोहित पत्रलेख (एसएमओ, सफदरजंग अस्पताल), ईष के. दामिनी (संपादक, आईजेओ), डॉ. ए. सी. आनंद (वरिष्ठ कंसल्टेंट, गैस्ट्रोइंटेरोलॉजिस्ट, अपोलो अस्पताल), डॉ. नितिन घोने (वरिष्ठ रेडियोलॉजिस्ट, अपोलो अस्पताल), डॉ. सीता नायक (पूर्व सदस्य, जीसी, आईसीएमआ), डॉ. अनुपम प्रकाश (प्रोफेसर, एलएचएमसी), डॉ. रमण सरदाना (वरिष्ठ कंसल्टेंट, माइक्रोबायलॉजी, अपोलो अस्पताल) और समीर गुप्ता (इसलेवियर), डॉ. निपुन चौधरी (संपादक, अपोलो अस्पताल)
शामिल होंगे।
पाठ्यक्रम निदेशक डॉ. राजीव ठुकराल के अनुसार इस कार्यशाला के दौरान हर प्रतिभागी एक डमी पाण्डुलिपि तैयार करेंगे तथा हर पहलुओं का विश्लेषण करेंगे। कार्यशाला के बाद हर प्रतिभागी के लिए एक मेंटर नियुक्त कर दिए जाएंगे जो वास्तविक पाण्डुलिपि तैयार करने तथा उनके मूल्याकंन में मदद करेंगे।